THE SMART TRICK OF HANUMAN CHALISA THAT NOBODY IS DISCUSSING

The smart Trick of hanuman chalisa That Nobody is Discussing

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अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥ सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा ।

व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

He's usually considered being the spiritual offspring of your wind deity Vayu, who is claimed to acquire performed a major part in his start.[7][eight] In Shaiva tradition, He's regarded to generally be an incarnation of Shiva, when in many of the Vaishnava traditions he may be the son and incarnation of Vayu. His tales are recounted not only from the Ramayana but in addition inside the Mahabharata and numerous Puranas.

BalaBalaStrength / electric power buddhiBuddhiIntelligence / wisdom bidyaBidyaKnowledge dehuDehuGive / deliver harahuHarahuClear / take away kalesaKalesaSuffering bikaraBikaraImperfections / impurity Indicating: Knowing this physique to generally be devoid of intelligence/wisdom, I try to remember the son of wind God, Lord Hanuman; Grant me power, intelligence and knowledge and take away my bodily sufferings and psychological imperfections.

SankataSankataTrouble / issue kataiKataiCut quick / conclusion mitaiMitaiRemoved sabaSabaAll pīrāPīrāPains / problems / sufferings

आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द: भजन

महाबीर जब नाम सुनावै more info ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥

भावार्थ – आपने अत्यन्त विशाल और भयानक रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और विविध प्रकार से भगवान् श्री रामचन्द्रजीं के कार्यों को पूरा किया।

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भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।

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